वसुंधरा राजे की प्रचार से दूरी का भाजपा को नफा या नुकसान ?

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Vasundhara Raje's distance from campaigning will benefit or harm BJP?

मिशन-25 को लेकर आखिर क्या है मोदी का प्लान

पिछले पांच-छह महीनों से राजी नहीं दिख रही हैं राजे

बीकानेर। प्रदेश में लोकसभा चुनाव का प्रचार परवान पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित एक के बाद एक केंद्रीय नेता चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए राजस्थान आ रहे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित दोनों डिप्टी सीएम और कई मंत्री भी धुंआधार प्रचार में लगे हैं। यहां तक कि विधानसभा चुनाव में हारने वाले सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ भी अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में जाकर पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। लेकिन वसुंधरा राजे कहां हैं, सियासी गलियारों में इसे लेकर चर्चा है। झालावाड़ लोकसभा सीट से उनके बेटे दुष्यंतसिंह चुनाव मैदान में है। क्या राजे केवल अपने बेटे की सीट तक सिमट कर रह गई।


राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल है लेकिन केवल झालावाड़ को छोडक़र वे प्रदेश की अन्य क्षेत्रों में भाजपा के समर्थन में प्रचार करती नजर नहीं आ रही है। वे केवल अपने बेटे दुष्यंत सिंह के क्षेत्र में प्रचार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिन में 5 बार राजस्थान दौरे पर आ चुके हैं। वे 5 चुनावी सभाओं को संबोधित कर चुके हैं और दौसा में रोड शो निकाल चुके हैं। उनके किसी भी प्रोग्राम में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे नजर नहीं आई। 6 अप्रेल को जब भाजपा का स्थापना दिवस था। तब वे जयपुर के बजाय दिल्ली स्थित प्रदेश कार्यालय में उपस्थित रही। ऐसे में राजस्थान के सियासी गलियारों में यह सवाल गूंज रहा है कि आखिर वसुंधरा राजे चुनाव प्रचार से दूर क्यों है।


पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया सहित कई विधायकों और मंत्रियों के नियमित कार्यक्रम मीडिया को साझा किए जा रहे हैं। कौन कहां चुनाव प्रचार में शामिल होगा, इसकी जानकारी दी जाती है लेकिन स्टार प्रचारक होने के बावजूद अभी तक राजे का कोई कार्यक्रम झालावाड़ से बाहर का नहीं बना है। 20 मार्च से नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसके बाद से सभी लोकसभा क्षेत्रों में चुनावी रैलियां और किसान सम्मेलन के आयोजन हो रहे हैं लेकिन पार्टी का वो चेहरा जो कभी पहले चेहरे के रूप में जाना जाता था। वो आजकल गायब है।

पिछले 5-6 महीने से राजी नहीं हैं राजे


प्रदेश में जब से 2023 के विधानसभा चुनाव की बिसात बिछी। तब से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गायब सी हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने प्रदेश के किसी भी नेता को पार्टी का चेहरा नहीं बनाया। बहुमत मिलने के बाद पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना दिया गया। पूर्व सीएम राजे के पास फिलहाल सरकार में कोई पद नहीं हैं। वह एक सामान्य विधायक हैं। लोकसभा चुनाव में भी राजे के प्रचार प्रसार का कार्यक्रम पार्टी की ओर से जारी नहीं किया जा रहा है जबकि अन्य नेताओं के कार्यक्रम पार्टी की ओर से जारी किए जा रहे हैं।

राजे की गैरमौजूदगी से पार्टी को नफा या नुकसान


सियासी गलियारों में यह सवाल भी गूंज रहा है कि वसुंधरा राजे के प्रचार से दूर रहने पर पार्टी को नफा होगा या नुकसान। लोग भले ही कुछ भी कयास लगाए लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को कोई नुकसान नजर नहीं आ रहा है। विधानसभा चुनाव में भी राजे चुनिंदा क्षेत्रों में ही प्रचार के लिए गई थी। कुछ क्षेत्रों में वे पीएम मोदी के साथ मंच पर भी मौजूद रही लेकिन लोकसभा चुनाव में अभी तक केंद्रीय नेताओं के साथ पूर्व सीएम राजे का कोई कार्यक्रम तय नहीं हुआ है। अब पांच दिन बाद पहले चरण का मतदान है। इन 5 दिनों में राजे का क्या कार्यक्रम बनता है। प्रदेश के लोगों की निगाहें उन्हीं के कार्यक्रमों पर टिकी हैं।

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