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मोहता चौक, हर्षों का चौक, बारह गुवाड़, साले की होली, नत्थूसर गेट क्षेत्र दुल्हन की तरह सजा है। शहर की रौनक बने पुष्करणा सावे की धूम कुछ इस तरह है कि हर घर शादी का है। ऊर्जा,जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ.बी.डी. कल्ला सहित प्रशासन भी पूरी तरह से इस ओलम्पिक सावे में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहा है। रोशनी से सजे घर हर गली की रौनक बढ़ा रहे हैं।
आज के दिन की शुरूआत मायरे से हुई, जहां पूरे शहर में बिरा रमक-झमक कर आय तो गीत की गूंज सुनाई दे रही है, वहीं दोपहर में खिरोड़े कार्यक्रम के तहत वधू पक्ष के लोग वर पक्ष के घर जाएंगे और कन्यादान की रस्म निभाएंगे। पुष्करणा सावे के तहत 400 घरों में शादियां आयोजित होगी और 200 जोड़े हमसफर बनेंगे। जिसमें 75 जोड़े गैर पुष्करणा है तथा 125 के आस-पास पुष्करणा समाज के जोड़े शामिल है। वहीं इस सावे को ध्यान में रखते हुए प्रशासन भी चाक-चौकंद है। हर गली-मोहल्ले में साफ-सफाई का जिमा नगर निगम अधिकारियों को सौंप रखा है। वहीं यातायात व्यवस्था में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था ना हो इसके लिए ट्रेफिक पुलिस को इसकी जिम्मेदारी दे रखी है। ट्रेफिक पुलिस का सिपाही शहर की प्रत्येक गली-गवाड़ में तैनात रहेगा।
भैरुरत्न पुरोहित प्रथम
पुष्करणा ओलम्पिक सावे के तहत बाहर गुवाड़ में रमझ-झमक द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पहले पहुंचे दुल्हे को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में दुल्हा भैरुरत्न पुरोहित पुत्र ब्रजरत्न पुरोहित ने पहले पहुंचकर ईनाम प्राप्त किया। जिसमें रमक-झमक द्वारा दुल्हे-दुल्हन को श्रीनाथजी यात्रा करवाने की बात कहीं तथा पुजारी बाबा व लाल बाबाजी द्वारा 5100-5100 रुपए नकद पुरस्कार दिया गया। इस मौके अन्य दुल्हे भी विष्णु रुप में पहुंचे। बारह गुवाड़ में आयोजित इस कार्यक्रम में देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग इक्कठे हुए।
पुष्करणा विवाह पद्धति पुस्तक का विमोचन
ऊर्जा,जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ.बी.डी. कल्ला ने बुधवार को पं.विमल किराडू एवं पंडित अशोक रंगा द्वारा लिखित पुष्करणा विवाह पद्धति (पुस्तक) का विमोचन किया। इस अवसर पर महेश व्यास, डॉ.गोपाल नारायण व्यास, मोहनलाल किराडू, मगन बिस्सा, करतार सिंह सोढ़ी, राजेन्द्र प्रसाद पुरोहित कार्यक्रम में मौजूद रहे। कार्यक्रम में ऊर्जा जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि पुष्करणा समाज में सामूहिक विवाह बहुत पुरानी संस्कृति है।
पहले चार वर्षों में सामूहिक विवाह का आयोजन होता लेकिन अब हर साल होने लग गया है। वही वैवाहिक पद्धति पुस्तक को लेकर पं. विमल किराडू व अशोक रंगा का आभार जताते हुए कहा कि आजकल लोग संस्कारों की पद्धति को भूल गए मगर इस पुस्तक के माध्यम से लोग वापस अपने संस्कार को याद रखेंगे।
पुष्करणा समाज का सामूहिक विवाह का यही उद्देश्य था कि कम खर्च में शादी करना मगर आजकल लोग परम्परा को भूल रहे है। शादी में मंगलगीत गीत की जगह डीजे बजाते हैं, आतिशबाजी करते हैं। यह कदम मूल संस्कारों को भटकाने वाला है।
इस अवसर पर डा. गोपालनारायण व्यास ने पुष्करणा विवाह पद्धति की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और वर्तमान परिवेश में उपनयन संस्कार में उक्त पुस्तक की उपादेयता बताई। स्वर्गीय सूर्यप्रकाश किराडू स्मृति संस्थान के चंद्रप्रकाश ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में पण्डित रामेश्वर किराडू, घनश्यामदास रंगा, कैलाश पुरोहित, भरत रंगा, दिनेश पुरोहित, देवकीनंदन व्यास, कैलाश पुरोहित तथा सुरेंद्र व्यास सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।















